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सनातन धर्म में दीपोत्सव के अंतर्गत दिवाली पर्व कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर मनाया जाता है। इस बार अमावस्या तिथि दो दिवसों के मध्य घटित हो रही है, किंतु प्रदोष काल के महात्म्य के आधार पर दिवाली पर्व सोमवार को भी मनाया जाना ज्यादा शास्त्र सम्मत है। इसी प्रकार 22 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा (अन् कूट) एवं 23 अक्टूबर को भाई भाई दूज (यम द्विीया) पर्व मनाया जा सकेगा। ज्योत विंद पं. हरिनरायण व्यास मन्नासा ने बताया कि इस वर्ष दिवाली पर कई दुर्लभ योग निर्मित हो रहे रहे हैं। इस दिन बृहस पति देव अपनी उच्च की राशि कर्क में गोचर करके हंस नामक राजयोग का निर्माण कर रहे हैं। तुला राशि में सूर्य और बुध की युति से बुधा त्यि योग निर्मित हो रहा कन्या राशि में शुक्र और चंद्र की युति कला मक योग एवं न्याय के देवता शनि देव इस दिन वक्री चाल में मीन राशि में होने से व्यक्ति के जीवन में है। धन, ऐश्वर्य सुख संतान की प्राप्ति, उत्तम स्वास्थ्य लाभ, पराक्रम वृद्धि होती है।
स्थिर लग्न और स्थिर नवांश में पूजन करना सर्वश्रेष्ठ
कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी सोमवार को प्रदोष काल में अमावस्या होने से इसी दिन दीपावली मनाई जाएगी। लक्ष्मी पूजन किया जाएगा। लक्ष्मी पूजन प्रदोष युक्त अमावस्या को स्थिर लग्न व स्थिर नवांश में किया जाना सर्वश्रेष्ठ होता है। इस वर्ष लक्ष्मी पूजन का मुहुर्त इस प्रकार रहेगा। प्रदोष काल सांय 06.01 से रात्रि 8.32 बजे तक बृषभ लग्न सांय 07:27 से रात्रि 09:23 बजे तक
ज्योतिर्विद पं. हरिनारायण व्यास मन्त्रासा ने बताया कि कार्तिक अमावस्या सोमवार 20 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 46 मिनट से प्रारंभ होगी, जो मंगलवार 21 अक्टूबर की शाम 5 बजकर 55 मिनट तक रहेगी।
दीपावली पूजन मुहूर्त
व्यास ने बताया कि इस दिन पूरा दिन ही शुभ माना जाता है.इस दिन किसी भी समय पूजन कर सकते हैं लेकिन प्रदोष काल से लेकर निशाकाल तक समय शुभ होता है.
महालक्ष्मी पूजन का समय
प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन किया जाना चाहिए.
प्रदोष काल - सायं 06:50 से रात्रि 08:24 बजे तक।
स्थिर वृष लग्न - रात्रि 7:18 से रात्रि 9:15 बजे तक
स्थिर सिंह लग्न - मध्य रात्रि 1:48 से 4:04 बजे तक
सबसे श्रेष्ठ समय
सायं 7:30 मिनट से 7:43 मिनट का है.
इसमें प्रदोष काल, स्थिर लग्न वृषभ और स्थिर नवमांश कुंभ का समय रहेगा.
चौघडिया मुहुर्त
चर का चौघडिया - सांय 5.51 से रात्रि 7.26 बजे तक
लाभ का चौघडिया - रात्रि 10.37 से रात्रि 12.12 बजे तक
शुभ-अमृत का चौधडिया - मध्य रात्रि 1.48 से 4.58 बजे तक रहेगा
कार्तिक कृष्ण अमावस्या 21 अक्टूबर
- सुबह 9.33 मिनट से 10.58 बजे तक शुभ
- सुबह 10.58 बजे से 1.47 बजे तक चर, लाभ अभिजित
- दोपहर 3.11 बजे से 4.36 बजे तक शुभ वेला
- शाम 6.00 बजे से 9.22 बजे तक गोधुलिक वेला
- रात 1.53 बजे से 4.58 बजे तक सिंह लग्न
इन मंत्रों से करें मां को प्रसन्न
यह मां लक्ष्मी के अलग-अलग नाम हैं, जिनका जप करने से मां प्रसन्न होती है.
ॐ आद्यलक्ष्म्यै नम:, ॐ विद्यालक्ष्म्यै नम:, ॐ सौभाग्यलक्ष्म्यै नम:, ॐ अमृतलक्ष्म्यै नम:, ॐ कामलक्ष्म्यै नम:, ॐ सत्यलक्ष्म्यै नम:,
ॐ भोगलक्ष्म्यै नम:, ॐ योगलक्ष्म्यै नम:.
ऊं अपवित्र: पवित्रोवा सर्वावस्थां गतो पिवा ।
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर:।।
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः
पूजा सामग्री
व्यास ने बताया कि दीपावली के शुभ अवसर पर मां लक्ष्मी की पूजा में कलावा, अक्षत, लाल वस्त्र, फूल, पांच सुपारी, रोली, सिंदूर, एक नारियल, अक्षत, लाल वस्त्र, फूल, पांच सुपारी, लौंग, पान के पत्ते, घी, कलश, कलश के लिए आम का पल्लव, चौकी, समिधा, हवन कुण्ड, हवन सामग्री, कमल गट्टे, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल), फल, बताशे, मिठाईयां, पूजा में बैठने हेतु आसन, हल्दी , अगरबत्ती, कुमकुम, इत्र, दीपक, रूई, आरती की थाली, कुशा, रक्त चंदनद, श्रीखंड चंदन पूजन सामग्री का इस्तेमाल करें.
पूजा विधि
पूजन शुरू करने से पहले चौकी को अच्छी तरह से धोकर उसके ऊपर खूबसूरत सी रंगोली बनाएं, इसके बाद इस चौकी के चारों तरफ दीपक जलाएं. मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करने से पहले थोड़े से चावल रख लें।मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए उनके बाईं ओर भगवान विष्णु की प्रतिमा को भी स्थापित करें. अगर आप किसी पंडित को बुलाकर पूजन करवा सकते हैं तो यह काफी अच्छा रहेगा.
लेकिन आप अगर खुद मां लक्ष्मी का पूजन करना चाहते हैं तो सबसे पहले पुष्प, फल, सुपारी, पान, चांदी का सिक्का, नारियल, मिठाई, मेवा, सभी सामग्री थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर इस त्योहार के पूजन के लिए संकल्प लें.सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें और इसके बाद आपने चौकी पर जिस भगवान को स्थापित किया है उनकी. इसके बाद कलश की स्थापना करें और मां लक्ष्मी का ध्यान करें. मां लक्ष्मी को इस दिन लाल वस्त्र जरूर पहनाएं. इससे मां काफी प्रसन्न होंगी और इस दीवाली आपके घर में भी खुशियों का बसेरा होगा.
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