जयपुर। राजस्थान में अब घूसखोर अधिकारी रिश्वत लेने के नए-नए तरीके अपनाने लगे हैं। एसीबी के डर से नकद लेने से बचने के लिए अब अधिकारी घूस के रूप में जमीन, परिजनों की फर्जी नौकरी या सैलरी ट्रांसफर जैसे पैटर्न अपनाने लगे हैं। इसी तरह का एक बड़ा मामला राजस्थान के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (DOIT) और राजकॉम्प इन्फो सर्विसेज में उजागर हुआ है।
इस मामले में राजकॉम्प के ज्वाइंट डायरेक्टर प्रद्युमन दीक्षित पर आरोप है कि उन्होंने अपनी पत्नी पूनम दीक्षित के नाम पर दो निजी कंपनियों से 37.54 लाख रुपये की राशि ट्रांसफर करवाई। यह रकम जनवरी 2019 से सितंबर 2020 के बीच ओरियन प्रो सॉल्यूशंस और ट्रिजेन सॉफ्टवेयर लिमिटेड कंपनियों से उनके पांच अलग-अलग बैंक खातों में सैलरी के रूप में दी गई।
जांच में सामने आया कि पूनम दीक्षित कभी भी इन कंपनियों के कार्यालय नहीं गईं और उन्हें कागजों में ‘कर्मचारी’ दिखाकर भुगतान किया गया। बदले में प्रद्युमन दीक्षित ने इन कंपनियों को सरकारी टेंडर दिलवाए।
वकील की शिकायत पर ACB की कार्रवाई
पेशे से वकील टी.एन. शर्मा ने इस पूरे प्रकरण की शिकायत भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) में दर्ज करवाई और सभी दस्तावेज सबूत के रूप में पेश किए।
राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश पर जुलाई 2025 में एसीबी ने प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की।
जांच में यह भी सामने आया कि प्रद्युमन दीक्षित ने डाटा सेंटर के ज्वाइंट डायरेक्टर रहते हुए पद का दुरुपयोग किया और अपनी पत्नी को एक साथ दो कंपनियों में नौकरी पर दिखाया।
इन पर मामला दर्ज
एसीबी ने इस मामले में
- प्रद्युमन दीक्षित,
- पूनम दीक्षित,
- उपनिदेशक राकेश कुमार,
- कमलेश,
- और दोनों निजी कंपनियों के अधिकारियों
के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है।
प्रकरण की जांच का जिम्मा डीएसपी नीरज गुरनानी को सौंपा गया है। सूत्रों के अनुसार, एसीबी अपनी जांच लगभग पूरी कर चुकी है और जल्द ही आरोपियों से पूछताछ व गिरफ्तारी की कार्रवाई हो सकती है।
सूत्रों का यह भी कहना है कि DOIT विभाग में इससे जुड़े और भी कई घोटाले उजागर होने की संभावना है, जिन पर एसीबी में अलग-अलग शिकायतें दर्ज हैं।

0 Comments