– दुनिया की दुर्लभतम जन्मजात बीमारियों में से एक, दुनियाभर में अब तक केवल 15-20 केस ही रिपोर्ट हुए
– इटर्नल हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने बिना सर्जरी इंटरवेंशनल प्रोसीजर से किया इलाज
जयपुर। जयपुर के इटर्नल हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने एक दिन के नवजात शिशु की जान बचाने में बड़ी सफलता हासिल की है। यह बच्चा कॉनजेनिटल हेपेटिक आर्टेरियोवीनस मालफॉर्मेशन (HAVM) नामक अत्यंत दुर्लभ जन्मजात बीमारी से पीड़ित था। यह राजस्थान में इस बीमारी का पहला सफल इलाज है। यह बीमारी इतनी दुर्लभ है कि दुनियाभर में अब तक केवल 15-20 और भारत में 2-3 केस ही रिपोर्ट हुए हैं।
मुख्य इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. अनुराग गुप्ता ने डॉ. ऋचा वैष्णव (गायनोकोलॉजी एवं ऑब्सटेट्रिक्स) और डॉ. राजकुमार गोयल (पीडियाट्रिक्स एवं नियोनेटोलॉजी) व उनकी टीम के साथ मिलकर इस जटिल प्रोसीजर को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
गर्भावस्था में ही हो गई थी जानलेवा बीमारी की पहचान
डॉक्टरों ने बताया कि गर्भावस्था के 32वें सप्ताह में सोनोग्राफी के दौरान बच्चे के लिवर में नसों का एक असामान्य गुच्छा (HAVM) दिखाई दिया। इस बीमारी के कारण खून, लिवर से होते हुए जाने के बजाय सीधे हृदय की ओर जाने लगा, जिससे भ्रूण के हृदय पर अत्यधिक दबाव पड़ा और हार्ट फेलियर की स्थिति बन गई।
डॉ. ऋचा वैष्णव ने गर्भावस्था के दौरान ही इस असामान्य स्थिति को पहचान लिया और फेटल मॉनिटरिंग जारी रखी। जब उन्होंने देखा कि हृदय पर दबाव बढ़ता जा रहा है, तो उन्होंने बच्चे की जान बचाने के लिए समय से पहले डिलीवरी करवाने का निर्णय लिया।
बिना सर्जरी, 'ग्लू' से बंद कीं असामान्य नसें
डिलीवरी के तुरंत बाद नवजात को डॉ. राजकुमार गोयल की देखरेख में एनआईसीयू में रखा गया। मल्टीडिसिप्लिनरी टीम ने 2D ईको और क्लिनिकल मॉनिटरिंग से स्थिति का आकलन किया। चूंकि बच्चे की हालत बड़े AV मालफॉर्मेशन के कारण सुधर नहीं रही थी, इसलिए टीम ने डॉ. अनुराग गुप्ता (कंसल्टेंट – इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी) के नेतृत्व में इंटरवेंशन करने का निर्णय लिया।
डॉ. अनुराग गुप्ता और उनकी टीम ने बिना किसी सर्जरी के, जांघ की बेहद पतली नस के माध्यम से कैथेटर को लिवर तक पहुंचाया। नसों का यह असामान्य गुच्छा लगभग हृदय के आकार से भी बड़ा था।
डॉ. गुप्ता ने सुरक्षित तरीके से लगभग 70% असामान्य रक्त वाहिकाओं को मेडिकल-ग्रेड ग्लू (Medical-Grade Glue) से बंद कर दिया, जिससे हृदय की विफलता (Heart Failure) की स्थिति पूरी तरह ठीक हो गई। शेष हिस्सा दवाओं से धीरे-धीरे सामान्य हो जाएगा।
प्रोसीजर था बेहद चुनौतीपूर्ण
डॉ. अनुराग गुप्ता ने बताया, “इतने छोटे नवजात में यह प्रोसीजर करना अत्यंत चुनौतीपूर्ण था। नसें बेहद पतली थीं और ज़रा सी गलती से जान को खतरा हो सकता था। लेकिन सटीक योजना, अत्याधुनिक तकनीक और टीमवर्क से प्रोसीजर पूरी तरह सफल रहा।”
रिकवरी और डिस्चार्ज
प्रोसीजर के बाद नवजात को कुछ दिनों तक वेंटिलेटर पर रखा गया। डॉ. राजकुमार गोयल और उनकी टीम ने बच्चे के हृदय और लिवर की कार्यप्रणाली की लगातार निगरानी की। कुछ ही दिनों में बच्चा रूम एयर पर स्थिर हो गया, मां का दूध लेने लगा और उसे सुरक्षित रूप से डिस्चार्ज कर दिया गया।
अस्पताल की को-चेयरपर्सन मंजू शर्मा और सीईओ डॉ. प्राचीश प्रकाश ने डॉक्टरों की टीम को इस असाधारण उपलब्धि के लिए बधाई देते हुए कहा कि यह सफलता इटर्नल हॉस्पिटल की अत्याधुनिक तकनीक, अनुभवी चिकित्सकों और विश्वस्तरीय नवजात देखभाल के प्रति समर्पण को दर्शाती है।

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