बीकानेर। सुप्रीम कोर्ट ने आज महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए यह स्पष्ट किया है कि न्यायिक सेवा में प्रवेश के लिए न्यूनतम वकालत आवश्यक होगी। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने फैसले पर अपना रुख जारी करते हुए कहा हे कि इस फैसले का मुख्य उद्देश्य न्यायिक अधिकारियों की गुणवत्ता और अनुभव को सुनिश्चित करना है। आज मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति ए. जी. मसीह और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन शामिल थे, ने यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया कि वकालत अनुभव की यह अवधि प्रोविजनल एनरोलमेंट की तारीख या ऑल इंडिया बार परीक्षा पास करने की तारीख से गिनी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश आने के बाद बार एसोसिएशन बीकानेर के अधिवक्ताओं ने खुशी जताई। इस दौरान बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विवेक शर्मा ने कहा कि न्यायिक सेवा में 3 वर्ष की वकालत का नियम लागू करने से नए बनने वाले न्यायिक अधिकारियों को अनुभव हासिल होगा वहीं बार काउंसिल सदस्य कुलदीप कुमार शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वागत किए जाने योग्य है। मीडिया सचिव अनिल सोनी एडवोकेट ने बताया कि अधिकांश राज्यों में पहले से ही यह नियम था कि न्यायिक सेवा में प्रवेश के लिए न्यूनतम तीन वर्षों की वकालत आवश्यक होगी। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रावधान को फिर से बहाल किया है।
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