नोखा। राजस्थान की विधिक सेवाओं में तकनीकी क्रांति का नया अध्याय जुड़ गया है। गौतम लॉ चैम्बर (GLC) ने शनिवार को भारत का पहला आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं साइबर लॉ डिवीजन लॉन्च किया। इस पहल को परंपरागत न्यायिक अनुभव और अत्याधुनिक तकनीक के संगम के रूप में देखा जा रहा है।
नए डिवीजन के अंतर्गत साइबर अपराध बचाव एवं डिजिटल फॉरेंसिक से संबंधित सेवाएं उपलब्ध होंगी, जिनमें फ़िशिंग, ऑनलाइन फ्रॉड, क्रिप्टो घोटाले, सेक्सटॉर्शन, साइबर स्टॉकिंग और डार्क वेब अपराधों से जुड़े मामलों का समाधान शामिल है। इसके साथ ही डेटा प्रोटेक्शन (DPDP अधिनियम 2023) के तहत कम्प्लायंस ऑडिट, डेटा ब्रीच मैनेजमेंट और प्राइवेसी-बाय-डिज़ाइन जैसी सुविधाएं भी प्रदान की जाएंगी।
डिवीजन का एक और महत्वपूर्ण पहलू AI आधारित विधिक उपकरण हैं। इनमें कॉन्ट्रैक्ट रिव्यू बॉट, मुकदमा पूर्वानुमान प्रणाली, ड्यू-डिलिजेंस ऑटोमेशन तथा ऑनलाइन विवाद समाधान (ODR) एवं आर्बिट्रेशन-टेक सेवाएं शामिल हैं। GLC ने यह भी घोषणा की कि आगामी समय में ब्लॉकचेन एस्क्रो सेवाओं और अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों के लिए AI-सक्षम लीगल प्रोसेस आउटसोर्सिंग (LPO) को भी बढ़ावा दिया जाएगा।
GLC के संस्थापक अधिवक्ता विनायक चितलांगी ने कहा कि “AI एवं साइबर लॉ डिवीजन का शुभारंभ राजस्थान की विधिक दुनिया के लिए ऐतिहासिक क्षण है। विधिक विशेषज्ञता, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और साइबर फॉरेंसिक का संगम न्यायिक सेवाओं को भविष्य की आवश्यकताओं के लिए तैयार करेगा।”
वरिष्ठ साझेदार एवं समिट संयोजक सुशील सैनी ने बताया कि GLC का उद्देश्य केवल अदालतों में बचाव करना नहीं है, बल्कि व्यक्तियों, स्टार्टअप्स और कंपनियों को डिजिटल युग में सुरक्षित रखने के लिए सक्रिय उपकरण उपलब्ध कराना भी है।
इस अवसर पर 24×7 साइबर क्राइम डिफेंस हेल्पलाइन का शुभारंभ किया गया। साथ ही “हर नागरिक के लिए डिजिटल सुरक्षा” नामक CSR अभियान तथा 2026 में लॉन्च होने वाले ODR प्लेटफॉर्म एवं ब्लॉकचेन एस्क्रो सेवाओं का रोडमैप भी प्रस्तुत किया गया।
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