नई दिल्ली। टीवी से लेकर यूट्यूब तक हर जगह दिखाई देने वाले "इस टीम पर पैसा लगाओ और रातों-रात करोड़पति बन जाओ" जैसे विज्ञापनों पर सरकार ने बड़ा प्रहार किया है। बुधवार को लोकसभा में विपक्षी हंगामे और नारेबाजी के बीच, ऑनलाइन गेमिंग (प्रमोशन और रेगुलेशन) बिल, 2025 को ध्वनि मत (voice vote) से पारित कर दिया गया।
यह बिल भारत के तेजी से बढ़ते ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर को कानूनी ढांचा देने और सट्टेबाजी वाले ऑनलाइन मनी गेम्स पर पूरी तरह से नकेल कसने के लिए लाया गया है। हैरानी की बात यह रही कि इतने अहम बिल पर संसद में कोई चर्चा या बहस ही नहीं हुई।
बिल की 3 बड़ी बातें
केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने स्पष्ट किया कि सरकार गेमिंग के खिलाफ नहीं है, बल्कि केवल सट्टेबाजी और जुए के खिलाफ है।
1. ई-स्पोर्ट्स (e-sports): कौशल और रणनीति पर आधारित गेम – जैसे शतरंज या ई-क्रिकेट। सरकार इसका समर्थन करती है।
2. सोशल गेम्स: मनोरंजन व शिक्षा के लिए गेम – जैसे लूडो, पहेलियां। इन्हें भी बढ़ावा मिलेगा।
3. ऑनलाइन मनी गेम्स: पैसे लगाकर पैसे जीतने वाले गेम। सरकार का असली निशाना यही हैं।
कितना खतरनाक है यह खेल?
मंत्री वैष्णव ने बताया कि कर्नाटक में हालिया रिपोर्ट के अनुसार, मनी-गेमिंग से जुड़ी घटनाओं के चलते कुछ महीनों में ही 32 लोगों की जान गई।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी "गेमिंग डिसऑर्डर" को मानसिक रोग की श्रेणी में रखा है।
अब क्या होगा गैर-कानूनी?
बिल ने साफ कर दिया है कि –
👉 कोई भी ऐसा गेम जिसमें पैसा या दांव लगाना पड़े और पैसे जीतने की उम्मीद हो, उसे "ऑनलाइन मनी गेम" माना जाएगा।
👉 अब फर्क नहीं पड़ेगा कि वह गेम स्किल आधारित है या मौके (Chance) पर।
👉 ऐसे सभी गेम गैर-कानूनी होंगे।
नियम तोड़े तो सजा
3 साल तक की जेल
₹1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना
मनी गेम्स चलाना, ऑफर करना, विज्ञापन करना, या उससे जुड़ा लेनदेन – सब अपराध होगा।
👁️🗨️ कौन रखेगा नजर?
इसके लिए सरकार National Online Gaming Authority बनाएगी, जो नियमों की निगरानी करेगी और डिजिटल टेक्नोलॉजी के जिम्मेदार उपयोग को बढ़ावा देगी।
✅ निष्कर्ष
यह बिल एक तरफ जहां ई-स्पोर्ट्स और क्रिएटिव गेमिंग को सुरक्षित बढ़ावा देगा, वहीं दूसरी तरफ सट्टेबाजी और जुए की दुनिया पर बड़ा प्रहार है। हालांकि, बिना बहस के इसे पास किया जाना लोकतांत्रिक दृष्टि से सवाल उठाता है, लेकिन सरकार ने साफ कर दिया है कि युवाओं और परिवारों को डिजिटल शोषण से बचाना उनकी प्राथमिकता है।
अब यह बिल राज्यसभा में पेश होगा और उसके बाद पूरे देश में इसका असर दिखेगा।
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