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नक्षत्रों का राजा 'पुष्य' लाएगा समृद्धि: इस शुभ मुहूर्त में खरीदी गई वस्तुएं धन को स्थिर करेंगी-आचार्य अनिल पुरोहित

India-1stNews



बीकानेर। दीपावली पर्व के नजदीक पुष्य नक्षत्र के दौरान खरीदारी का विशेष महत्व रहता है और इस शुभ अवसर पर की गई खरीदारी व्यापार वृद्धि में एक विशेष स्थान रखती है, आईए जानते हैं बीकानेर जिले के प्रख्यात ज्योतिष आचार्य अनिल पुरोहित की इस लेख में पुष्य नक्षत्र और उसमें खरीदारी के विशेष महत्व के बारे में।

​दिवाली, प्रकाश का त्योहार, न केवल अंधकार पर विजय का प्रतीक है, बल्कि यह समृद्धि, सुख और नई शुरुआत का भी संदेश देता है। इस वर्ष 2025 में, दिवाली का उत्साह दोगुना हो जाएगा क्योंकि यह पुष्य नक्षत्र के शुभ प्रभाव से ओतप्रोत होगा। पुष्य नक्षत्र, जो नक्षत्रों का राजा माना जाता है, विशेष रूप से खरीददारी और निवेश के लिए अत्यंत फलदायी होता है। आइए, इस लेख में हम पुष्य नक्षत्र के महत्व, दिवाली पर खरीददारी के लाभों और इस वर्ष के मुहूर्त तथा राशि अनुसार फायदों पर जानकारी इस प्रकार है :

​पुष्य नक्षत्र ज्योतिषीय महत्व

​वैदिक ज्योतिष में 27 नक्षत्रों में पुष्य नक्षत्र का स्थान सर्वोच्च है। यह कर्क राशि में स्थित है और शनि द्वारा शासित होता है, जबकि इसका अधिपति बृहस्पति (गुरु) है। "पुष्य" शब्द का अर्थ है "पोषण" या "समृद्धि", जो गाय के स्तन के प्रतीक से जुड़ा है। यह नक्षत्र माता लक्ष्मी का जन्म नक्षत्र माना जाता है, इसलिए इसमें की गई कोई भी खरीदारी या निवेश लंबे समय तक फलदायी होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पुष्य नक्षत्र में आरंभ किए गए कार्यों में स्थिरता, वृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है। यह नक्षत्र न केवल धन-धान्य की वृद्धि करता है, बल्कि मानसिक शांति और पारिवारिक सौहार्द भी प्रदान करता है।

​दिवाली के संदर्भ में पुष्य नक्षत्र का महत्व और भी बढ़ जाता है। दिवाली धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज तक चलने वाला पांच दिवसीय उत्सव है, जो धन, समृद्धि और लक्ष्मी पूजन का प्रतीक है। पुष्य नक्षत्र में खरीदारी करने से वस्तुएं कभी नष्ट नहीं होतीं और वे घर में सदा सुख-समृद्धि लाती रहती हैं। प्राचीन ग्रंथों में उल्लेख है कि इस नक्षत्र में सोना, चांदी, वाहन, संपत्ति या नई लेखा-जोखा किताबें खरीदने से कुबेर का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

​दिवाली पर पुष्य नक्षत्र में खरीददारी का महत्व

​दिवाली की खरीददारी का अपना अलग ही आकर्षण है। बाजारों में चमकते सोने-चांदी के आभूषण, नए वस्त्र, बर्तन और इलेक्ट्रॉनिक्स की चमक सबको लुभाती है। लेकिन ज्योतिषीय दृष्टि से, यदि यह खरीदारी पुष्य नक्षत्र में की जाए, तो इसके लाभ असीमित हो जाते हैं। यहां कुछ प्रमुख कारण हैं:

  1. धन की स्थिरता: पुष्य नक्षत्र में खरीदी गई वस्तुएं धन का प्रतीक बनती हैं। उदाहरणस्वरूप, सोना या चांदी खरीदने से घर में लक्ष्मी का वास स्थायी होता है, और आर्थिक हानि का भय समाप्त हो जाता है।
  2. नई शुरुआत के लिए आदर्श: नई व्यवसायिक डायरी, लेखा किताबें या निवेश इस समय शुरू करने से वर्ष भर लाभ होता है। यह नक्षत्र गुरु पुष्य योग या रवि पुष्य योग बनाता है, जो धन वर्षा का दुर्लभ संयोग है।
  3. स्वास्थ्य और सुख का वरदान: खरीदारी के साथ-साथ इस समय पूजा-अर्चना करने से पारिवारिक स्वास्थ्य और मानसिक शांति प्राप्त होती है। विशेष रूप से, वाहन या फर्नीचर खरीदने से यात्रा में सुरक्षा और घर में सुख मिलता है।
  4. आध्यात्मिक लाभ: पुष्य नक्षत्र बृहस्पति के प्रभाव से ज्ञान और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है। दिवाली पर इसकी साधना करने से पितरों का आशीर्वाद भी मिलता है।

​संक्षेप में, पुष्य नक्षत्र में खरीदारी न केवल भौतिक समृद्धि लाती है, बल्कि आध्यात्मिक ऊंचाइयों तक पहुंचाती है। यह समय "अक्षय तृतीया" या "धनतेरस" के समान शुभ माना जाता है।

​इस दिवाली पर पुष्य नक्षत्र का मुहूर्त (2025)

​इस वर्ष 2025 में दिवाली का मुख्य पर्व 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा, लेकिन धनतेरस 17 अक्टूबर से शुरू होगा। सौभाग्य से, पुष्य नक्षत्र दिवाली से ठीक पहले, 14 और 15 अक्टूबर को रहेगा। यह दो दिवसीय शुभ मुहूर्त धन वर्षा का संकेत देता है। विस्तृत मुहूर्त निम्नलिखित है (भारतीय मानक समय के अनुसार, सामान्यतः उत्तरी और पूर्वी भारत के लिए; पश्चिमी भारत में थोड़ा भिन्न हो सकता है):

  • 14 अक्टूबर 2025 (मंगलवार): पुष्य नक्षत्र का प्रारंभ शाम 5:24 बजे से। यह रात्रि भर रहेगा। खरीदारी के लिए सर्वोत्तम समय: सायं 6:00 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक।
  • 15 अक्टूबर 2025 (बुधवार): नक्षत्र का समापन दोपहर 4:46 बजे तक। शुभ मुहूर्त: प्रातः 6:00 बजे से दोपहर 3:00 बजे तक।

​(नोट: पश्चिमी भारत जैसे महाराष्ट्र, गुजरात में मुहूर्त 14 अक्टूबर सुबह 11:54 बजे से 15 अक्टूबर सुबह 11:59 बजे तक रहेगा। सटीक मुहूर्त के लिए स्थानीय पंचांग देखें।)

​इस मुहूर्त में सोना-चांदी, वाहन, संपत्ति, फर्नीचर या नई डायरी खरीदना विशेष फलदायी होगा। यदि गुरुवार या रविवार को पड़ता, तो गुरु पुष्य योग बनता, लेकिन यह भी अत्यंत शुभ है।

​राशि अनुसार पुष्य नक्षत्र के लाभ (खरीददारी और निवेश के संदर्भ में)

​पुष्य नक्षत्र का प्रभाव प्रत्येक राशि पर भिन्न होता है। नीचे राशि अनुसार प्रमुख लाभ दिए गए हैं। ये सामान्य ज्योतिषीय विश्लेषण पर आधारित हैं; व्यक्तिगत कुंडली के लिए परामर्श लें।


राशि

प्रमुख लाभ (खरीददारी/निवेश के लिए)

मेष

सोने-चांदी की खरीद से धन वृद्धि। पुराने निवेश से लाभ। व्यवसायिक निर्णय सफल।

वृषभ

संपत्ति या वाहन खरीदने से स्थिरता। आर्थिक स्रोत मजबूत, नई नौकरी के अवसर।

मिथुन

इलेक्ट्रॉनिक्स या वस्त्र खरीद लाभदायक। संचार संबंधी निवेश से लाभ, यात्रा सुखद।

कर्क

पुष्य नक्षत्र स्वराशि होने से विशेष फल। घरेलू वस्तुओं की खरीद से पारिवारिक सुख।

सिंह

नेतृत्व वाले निवेश (जैसे व्यवसाय डायरी) से यश। स्वर्ण खरीद से स्वास्थ्य लाभ।

कन्या

फर्नीचर या बर्तन खरीद से सुख। वित्तीय योजना सफल, शिक्षा में प्रगति।

तुला

साझेदारी निवेश लाभदायक। आभूषण खरीद से वैवाहिक सुख, सौंदर्य वृद्धि।

वृश्चिक

गुप्त निवेश (जैसे शेयर) से लाभ। वाहन खरीद से सुरक्षा, ऊर्जा वृद्धि।

धनु

बृहस्पति प्रभाव से धार्मिक वस्तुओं की खरीद शुभ। लंबी अवधि निवेश सफल।

मकर

शनि प्रभाव से स्थिर निवेश। संपत्ति खरीद से करियर उन्नति, धैर्य फलदायी।

कुंभ

नवीन तकनीकी वस्तुएं खरीदें। सामाजिक नेटवर्क से लाभ, अप्रत्याशित धन।

मीन

आध्यात्मिक निवेश (जैसे पूजा सामग्री) से शांति। रचनात्मक खरीद से प्रेरणा।


ये लाभ पुष्य नक्षत्र की पोषण ऊर्जा से प्रेरित हैं। मेष, सिंह, धनु जैसी अग्नि राशियों को ऊर्जा मिलेगी, जबकि जल राशियों (कर्क, वृश्चिक, मीन) को भावनात्मक स्थिरता।

आचार्य अनिल पुरोहित ने लोगों से इस शुभ मुहूर्त का सदुपयोग करने और लक्ष्मी पूजन के साथ खरीददारी करके जीवन में समृद्धि लाने का आग्रह किया है। यदि आपकी कुंडली में कोई विशेष दोष हो, तो व्यक्तिगत परामर्श के लिए +91 90017 04646 मोबाइल नंबर पर सीधे संपर्क करें।


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