– 800 OPD वाला 50 बेड का अस्पताल बना 'डे-केयर सेंटर', 10 महीने से ENT डॉक्टर नदारद
– अधीक्षक का फोन 'नो आंसर', CMHO की कार्रवाई पर सवाल
बीकानेर के गंगाशहर स्थित सेठ शिव प्रताप पूनम चंद भट्टड़ राजकीय सैटेलाइट चिकित्सालय में आज घोर लापरवाही और बदइंतजामी का मंजर देखने को मिला। अस्पताल में न केवल 24 घंटे की आपातकालीन सेवाएं ठप पड़ी हैं, बल्कि मरीजों को रेफर करने के लिए रखी गई एम्बुलेंस का ड्राइवर 1 नवंबर से ही नदारद है।
क्या है आज की घटना?
आज, एक 30 वर्षीय श्रवण कुमार अपने हाथ की नस कट जाने पर गंभीर हालत में इलाज करवाने अस्पताल पहुंचे। वहां मौजूद नर्सिंग स्टाफ ने जैसे-तैसे ड्रेसिंग करके उन्हें पीबीएम अस्पताल के लिए रेफर कर दिया।
उसी समय, एक 3 वर्षीय बच्ची को मिर्गी का दौरा पड़ने पर परिजन अस्पताल लेकर आए। उसे भी प्राथमिक उपचार के बिना पीबीएम अस्पताल रेफर कर दिया गया।
लापरवाही की इंतेहा: 108 और टैक्सी का सहारा
जब दोनों गंभीर मरीजों के परिजनों ने उन्हें ले जाने के लिए अस्पताल की एम्बुलेंस मांगी, तो पता चला कि एम्बुलेंस तो खड़ी है, लेकिन ड्राइवर नहीं है। खोजबीन करने पर सामने आया कि ड्राइवर एक नवंबर से ही अस्पताल से निकल चुका है और ड्यूटी पर नहीं है।
मजबूरन, हाथ की नस कटने से घायल श्रवण कुमार को 108 एम्बुलेंस बुलानी पड़ी। वहीं, 3 साल की मासूम बच्ची को उसके परिजन एक निजी टैक्सी में पीबीएम अस्पताल ले जाने को मजबूर हुए।
सवाल यह उठता है कि अगर रास्ते में उस 3 साल की बच्ची के साथ कुछ हो जाता, तो जिम्मेदार कौन होता?
इस गंभीर स्थिति के बारे में जब अस्पताल के अधीक्षक मुकेश बाल्मीकि से संपर्क करने का प्रयास किया गया, तो उनका फोन भी "नो आंसर" (No Answer) आया।
3 बजे 'सो जाता है' 800 OPD वाला अस्पताल
यह घटना इस अस्पताल की बदहाली की सिर्फ एक बानगी है। सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज प्रशासन की लापरवाही और हेल्थ डिपार्टमेंट के कमजोर मॉनिटरिंग सिस्टम ने इस 50 बेड के हॉस्पिटल को "डे-केयर सेंटर" बना दिया है।
यहां सुबह 9 बजे से दोपहर 3 बजे तक औसतन 800 से अधिक मरीजों की OPD रहती है, लेकिन जैसे ही ओपीडी टाइम खत्म होता है, यह अस्पताल मानो 'सो जाता है'। न डिलीवरी होती है, न मरीज भर्ती किए जाते हैं, और न ही कोई सर्जरी होती है।
नियम ताक पर, विशेषज्ञ नदारद
सरकारी गाइडलाइन के अनुसार, 50 बेड वाले अस्पताल में 24 घंटे इमरजेंसी सेवा (जिसमें गायनेकोलॉजिस्ट, सर्जन, एनेस्थेसिस्ट, ईएनटी और मेडिसिन विशेषज्ञ हों) और नॉर्मल व सीजेरियन डिलीवरी की सुविधा अनिवार्य है।
लेकिन गंगाशहर सैटेलाइट अस्पताल की हकीकत:
- सर्जन नहीं है।
- एनेस्थीसिया डॉक्टर नहीं है।
- ईएनटी विशेषज्ञ 10 महीने से गायब हैं।
- गायनेकोलॉजिस्ट केवल ओपीडी समय तक सीमित हैं।
इसका सीधा असर किसमीदेसर, उदयरामसर, गंगाशहर-भीनासर जैसी हजारों की गरीब आबादी पर पड़ रहा है, जिन्हें रात में इमरजेंसी पड़ने पर 10 किलोमीटर दूर पीबीएम अस्पताल की दौड़ लगानी पड़ती है।
इस पूरे मामले पर स्थानीय लोगों ने रोष जताते हुए कहा कि ऐसी लापरवाही बरतने वालों पर अब CMHO क्या संज्ञान लेंगे, यह भी देखने वाली बात होगी।




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