– 40 की जगह 60-70 की स्पीड में दौड़ रही थीं गाड़ियां, न इमरजेंसी गेट, न फर्स्ट एड किट; क्षमता से ज्यादा भरे थे बच्चे
बीकानेर, 18 नवम्बर।स्कूली बच्चों को लाने-ले जाने वाली बाल वाहिनियों (स्कूल वैन/बस) में बच्चों की सुरक्षा के इंतजाम कितने पुख्ता हैं, इसकी हकीकत मंगलवार को तब सामने आई जब जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव और अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश श्रीमती मांडवी राजवी खुद सड़क पर उतरीं।
न्यायाधीश ने जयपुर रोड पर विभिन्न बाल वाहिनियों को रोककर औचक निरीक्षण किया, तो नियमों की घोर अनदेखी सामने आई। मौके पर ही परिवहन और पुलिस विभाग के सहयोग से 5-6 बाल वाहिनियों के चालान काटे गए।
जान जोखिम में डालकर सफर
निरीक्षण के दौरान पाया गया कि बाल वाहिनियों में बच्चों की सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं थे।
- ओवरलोडिंग: निर्धारित क्षमता से अधिक बच्चों को ठूस-ठूस कर और असुरक्षित रूप से बिठाया गया था।
- स्पीड का कहर: बाल वाहिनियों में स्पीड गवर्नर नहीं लगे थे। नियम के मुताबिक ऐसे वाहन 40 किमी/घंटा से तेज नहीं चलने चाहिए, लेकिन वे 60-70 की स्पीड से दौड़ रहे थे।
- सुरक्षा उपकरण नदारद: वाहनों में न तो आपातकालीन निकास (Emergency Exit) था, न प्राथमिक उपचार किट, न अग्निशमन यंत्र और न ही जीपीएस। यहां तक कि खिडकियों पर ग्रिल व मेश भी नहीं लगे थे।
ड्राइवर के पास दस्तावेज अधूरे
हैरानी की बात यह रही कि बच्चों को ले जा रहे कई ड्राइवरों के पास वैध लाइसेंस और पहचान के दस्तावेज तक पूर्ण नहीं मिले। साथ ही, कई वाहनों पर निर्दिष्ट पीला रंग और 'बाल वाहिनी' लिखा होना भी नहीं पाया गया, जो कि अनिवार्य है।
न्यायाधीश मांडवी राजवी ने स्पष्ट किया कि बच्चों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। निरीक्षण के दौरान परिवहन तथा पुलिस विभाग के कार्मिक मौजूद रहे।

0 Comments