– 125 दिन की ऐतिहासिक हड़ताल का नेतृत्व करने वाले पुरोहित के फिर अध्यक्ष बनने से जगी उम्मीद; वकीलों ने मनाया 'प्रोटेस्ट डे'
– तर्क: 1922 से 1950 तक बीकानेर में थी हाई कोर्ट, भव्य इमारत आज भी मौजूद, सरकार पर नहीं पड़ेगा कोई वित्तीय भार
बीकानेर, 17 दिसंबर (बुधवार)।बीकानेर बार एसोसिएशन के नवनिर्वाचित अध्यक्ष अजय कुमार पुरोहित ने कमान संभालते ही बीकानेर में राजस्थान हाई कोर्ट की बेंच स्थापित करने की मांग को फिर से धार दे दी है। बुधवार को महीने की 17 तारीख होने के चलते वकीलों ने 'प्रोटेस्ट डे' मनाया और न्यायिक कार्यों का बहिष्कार किया।
सैकड़ों अधिवक्ताओं के साथ अध्यक्ष पुरोहित और बार काउंसिल सदस्य कुलदीप कुमार शर्मा ने जिला न्यायाधीश अश्विनी विज और जिला कलेक्टर नम्रता वृष्णि के मार्फत राष्ट्रपति और राजस्थान हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को 192वां ज्ञापन सौंपा।
सरकार ने वादा किया, फिर मौन साध लिया
ज्ञापन देते हुए अध्यक्ष अजय पुरोहित ने आंदोलन के इतिहास और सरकार की वादाखिलाफी को उजागर किया:
- इतिहास: उन्होंने बताया कि 17 अगस्त 2009 को आम सभा में संकल्प लिया गया था। बीकानेर में 1922 से 1950 तक हाई कोर्ट अस्तित्व में रही है।
- संसाधन: यहां वास्तुकला की अनूठी और भव्य इमारत पहले से मौजूद है, इसलिए बेंच स्थापना से सरकार पर कोई वित्तीय भार नहीं पड़ेगा। इससे संभाग की जनता को सस्ता और सुलभ न्याय मिलेगा।
- धोखा: पूर्व में वकीलों ने 125 दिनों तक हड़ताल की थी। तब तत्कालीन केंद्रीय विधि मंत्री वीरप्पा मोईली ने लोकसभा में कमेटी बनाने की घोषणा की थी, लेकिन उसके बाद सरकार ने मौन साध लिया।
अजय पुरोहित की वापसी से उम्मीदें बढ़ीं
गौरतलब है कि बीकानेर में हाई कोर्ट बेंच की मांग को लेकर जब 125 दिन की ऐतिहासिक हड़ताल हुई थी, तब भी नेतृत्व अजय कुमार पुरोहित ही कर रहे थे। अब वे चौथी बार अध्यक्ष बने हैं, जिससे वकीलों और आमजन में यह कयास तेज हो गए हैं कि यह आंदोलन अब निर्णायक मोड़ लेगा।
बार काउंसिल सदस्य कुलदीप कुमार शर्मा ने कहा कि हर महीने की 17 तारीख को हम प्रशासन और सरकार को उनका वादा याद दिलाने के लिए ज्ञापन देते हैं।
ये अधिवक्ता रहे शामिल
ज्ञापन देने वालों में वरिष्ठ अधिवक्ता गणेश चौधरी, सुरेंद्र पाल शर्मा, धर्मेंद्र वर्मा, भंवर लाल बिश्नोई, राजेश श्रीवास्तव, सन्तनाथ योगी, नवनीत नारायण व्यास, भंवर जनागल, रघुवीर सिंह राठौड़, मनोज भादानी, लक्ष्मीकांत रंगा, श्रवण जनागल, चतुर्भुज सारस्वत, रवैल भारतीय, हसन राठौड़, अनिल सोनी, विजयपाल चौधरी, जितेंद्र सिंह सेंसवांस, दीपक वर्मा, सुंदर बेनीवाल, सुरेश पुरोहित, लेखराम धतरवाल, विजय दीक्षित, रेखा सुथार और सुनीता दीक्षित सहित सैकड़ों वकील शामिल रहे।

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