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बीकानेर: रिलिज होने से पहले ही चर्चा में वर्दी वाले अफसरों की लिस्ट.. बाकी सब खैरियत है.

India-1stNews




सब खैरियत है.......मुकेश पूनिया
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प्रभारी मंत्री को दिखा दिया ~ऑल इज वेल" का आईना
अभी दो दिन पहले बीकानेर के हालातों फीडबेक लेने आये हमारे प्रभारी मंत्री को सिस्टम के अफसरों ने अपने चकारिए में लेकर ‘ऑल इज वेल’का ऐसा आईना दिखाया कि मंत्रीजी भी अपने आप को उनकी पीठ थपथपाने से रोक नहीं पाये। जबकि जग जाहिर है बीकानेर में हालात ठीक नहीं है। यहां जल जीवन मिशन पूरी तरह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका,कब्जा माफियाओं ने चहुंओर तहलका मचा रखा। प्रशासन के अफसर,सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को धरातल पर उतारने के बजाय कागजी आंकड़ों से अपनी उपलब्धियां से वाहवाही लूट रहे है । थानों में पीडि़तो की सुनवाई नहीं हो रही। चर्चा है कि बीकानेर के सारे सिस्टम को सांसद सेवा केन्द्र ने हाईजेक कर रखा है। ऐसे हालातों में प्रभारी मंत्री को ‘ऑल इज वेल’ का जुमला हजम कैसे हो गया,इसे लेकर सवाल उठ रहे है। मगर फिलहाल सब खैरियत है।
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नेताजी की शरणागत मिलावट माफिया
बीते साल जयपुर मुख्यालय से आई फूड इंस्पेक्टरों की टीम ने बीकानेर में मिर्च मसालों के कुख्यात मिलावट माफिया के ठिकाने पर छापामारी कर मौके पर करीब 18 हजार किलो मिलावटी मिर्च मसालों के साथ मसालों में मिलाये जाने वाले कैमिकल रंग और मिलावटी सामग्री की खेप पकड़ी,मौके पर लिये गये सैंपलो मेेंं से मिर्च मसालों सैंपल रिपोर्ट घातक श्रैणी की आ चुकी है। यह भी खुलासा हो चुका है कि आरोपी मिलावट माफिया राजस्थान में मिलावटी मिर्च मसालों का सबसे बड़ा सरगना है। इसके बावजूद कुख्यात मिलावट माफिया अभी तक कानूनी शिकंजा नहीं कसा गया है।  इस मामले की पड़ताल में पता चला है कि बीकानेर के एक प्रभावशाली नेता के शरणागत होने के कारण मिलावट माफिया की खाल अभी तक बची हुई है,इसलिये फिलहाल सब खैरियत है।
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कौन है कांग्रेसी जमात का अफसर!
भारत-पाक में सीजफायर से पहले उपजे तनावपूर्ण माहौल के दौरान आपातकालीन हालातों को देखते हुए बीकानेर की प्रशासनिक मुखिया मैडम ने एक आदेश जारी जिले के करीब आधा दर्जन सिनियर आरएएस अफसरों की ड्यूटी बॉर्डर इलाके में लगा दी। पता चला है कि जिन अफसरों को बॉर्डर इलाके में भेजा गया वह नाखुश थे,इनमें से एक अफसर ने प्रदेश कांग्रेस की टॉप लीडरशीप में शामिल सियासी आका को कॉल कर अपना दुखड़ा सुना दिया,बस फिर क्या था सियासी आका ने इसे मुद्दा बना लिया और सत्ता वालों के खिलाफ आग उगलते हुए कहा भाजपा सरकार कांग्रेस पृष्ठभूमि वाले अफसरों को बॉर्डर इलाके में भेज रही है। वे बोले,कांग्रेस पृष्ठभूमि के अफसर बॉर्डर पर जाने से नहीं डरते हैं, लेकिन सरकार इसमें भी भेदभाव कर रही है। इस एपिसोड़ के बाद सत्ता की खुफिया टीम बीकानेर के उस अफसर को डिटेन करनी में जुटी है,जिसने कांग्रेसी सियासी आका को कॉल किया था,मगर फिलहाल सब खैरियत है।
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रिलिज होने से पहले ही चर्चा में वर्दी वाले अफसरों की लिस्ट
प्रदेश के पुलिस महकमे में एक लिस्ट इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। लगभग डेढ़ दर्जन अफसरों की लिस्ट में किस-किस का नाम है, ये जानने के लिए हर खाकीधारी उत्सुक है। कहा जा रहा है कि जिन अफसरों का नाम इस लिस्ट में है वो इस लिस्ट में होना नहीं चाहते और जिसका नाम नहीं है, वो इस लिस्ट का हिस्सा बनना चाहते हैं। दरअसल,प्रदेश की खाकी फौज के ऐसे कई अफसर से है,जो अपनी जमी जमाई पारी नहीं छोडऩा चाहते । लेकिन हल्के मंत्रियों और विधायकों के साथ ट्यूनिंग नहीं बैठ पाने के कारण उनका नंबर लगना तय माना जा रहा है। पता चला है कि लिस्ट में शामिल अफसर अब अपनी पोस्टिंग बचाने के लिये दिल्ली तक एप्रौच लगवा रहे है,मगर फिलहाल सब खैरियत है।
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कुछ तो गड़बड़ है!
हमारे बीकानेर की प्राइवेट होस्पीटलें मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना का क्लेम उठाने में पीबीएम समेत तमाम सरकारी होस्पीटलों को पछाड़ रही है। इसका खुलासा भी किसी ओर नहीं बल्कि सीएमएचओं  ने खुद कलक्टर की मिटिंग में किया है। सीएमएचओं ने बताया कि मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत सरकारी अस्पतालों के करीब 50 फीसदी पैकेज क्लेम मेें फेल और प्राइवेट अस्पतालों के क्लेम 95 फीसदी पास हो रहे है। मतलब कुछ तो गड़बड़ है। माना जा रहा है कि इस कल्याणकारी योजना को प्राइवेट होस्पीटल वालों ने हाइजेक कर रखा है,इसमें बीमा कंपनी और प्राइवेट होस्पीटल वालों की मिलीभगत से भी इंकार नहीं किया जा सकता। सारा खेल करोड़ों रूपये के क्लेम से जुड़ा होने से अब इसकी जांच भी बड़ी ऐजेंसी से कराये जाने की उठने लगी है,मगर फिलहाल सब खैरियत है।
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सुर्खियों में बीकानेर माइंस ऑफिस का रसखूदार बाबू
बीकानेर के माइंस ऑफिस में तैनात एक बाबू के ठाठ निराले है। दरअसल,ऊंचे सियासी रसूखात वाला यह बाबू ऑफिस में अपना काम खुद करता बल्कि बीस-बीस हजार मंथली पर प्राइवेट वर्कर रख रखा है, ऑफिस से जुड़े सूत्रों की मानें तो इसके खिलाफ शिकायतों की लंबी फेहरिश्त होने के बावजूद कोई इसका बाल भी बांका नहीं कर पाया है। रौब इतना है कि आफिस के माइंस साब भी इसके मामलों में ज्यादा दखलदांजी नहीं देते। पता चला है कि माइंस ऑनर्स के खिलाफ करोड़ों रिकवरी आर्डर निकाल कर लाखों की वसूली में माहिर इस बाबू को प्रभावशाली खनन माफियाओं ने ही ऑफिस में इसकी तैनाती करवा रखी है,माफियाओं के लिये संकट मोचक बने इस बाबू की सर्विस कुण्डली खंगालने पर पता चला ऊपरी आय में इसका नाम महकमेें की टॉप लिस्ट में शामिल है,मगर फिलहाल सब खैरियत है।
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पीबीएम के वीआईपी वार्ड में ड्यूटी के लिये लगती है बोली
हमारी पीबीएम होस्पीटल में एक वीआईपी वार्ड ऐसा है जिसमें नर्सिग ड्यूटी के लिये बोली लगती है। हालांकि ड्यूटी के लिये बोली चलन ट्रेफिक पुलिस के कमाईदार नाकों के लिये तो सुना था,मगर होस्पीटल के वार्ड में ड्यूटी के लिये बोली लगने का मामला पहली बार सामने आया है। इस मामले की पड़ताल में पता चला कि मेडिसिन विभाग का डी-वार्ड होस्पीटल टॉप मोस्ट वीआईपी वार्ड में सबसे ज्यादा नर्सिग स्टाफ की तैनाती है। वार्ड में ज्यादात्तर ऐसे ही रोगियों को शिफ्ट किया जाता है जो मालदार या रसूखदार होते है। इस हाईप्रोफाइल वार्ड में सेवा कम और मेवा ज्यादा मिलता है। इसलिये वार्ड में ड्यूटी लगाने के लिये नर्सिग कर्मियों में हौड़ सी मची रहती है। मगर फिलहाल सब खैरियत है।

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