बीकानेर। इंदिरा गांधी नगर कॉलोनी निवासी पार्लर संचालिका लक्ष्मी पुरोहित (47) की बेरहमी से गला काटकर हत्या करने के जघन्य मामले में मंगलवार को बीकानेर की अदालत ने फैसला सुनाया है। अतिरिक्त जिला न्यायाधीश संख्या 6 रेणु सिंगला की कोर्ट ने आरोपी पूर्व ड्राइवर समीर खान को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सज़ा दी है।
कोर्ट ने आरोपी पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है, जिसे मृतका की दोनों बेटियों को क्षतिपूर्ति के तौर पर दिया जाएगा।
यह था पूरा मामला
मृतका लक्ष्मी पुरोहित के पति राजेश कुमार पुरोहित ने 26 दिसंबर 2023 को बीछवाल थाने में समीर खान के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कराया था। राजेश का आरोप था कि समीर उनके यहां ड्राइवर का काम करता था, लेकिन पत्नी को परेशान करने के कारण उसे काम से निकाल दिया गया था।
घटना का विवरण:
- 25 दिसंबर 2023 की शाम करीब 7 बजे लक्ष्मी अपने घर से गणेश मंदिर जाने का बोलकर निकली थीं।
- आरोपी समीर खान ने लक्ष्मी को उरमूल सर्किल पर मिलने बुलाया और फिर उन्हें सुनसान नहर कॉलोनी में ले गया।
- दोनों के बीच तीखी बहस हुई, जिसके बाद तैश में आकर समीर ने धारदार हथियार से लक्ष्मी का गला काट दिया।
- हमला इतना बर्बर था कि लक्ष्मी के गले में 2 इंच तक गहरा घाव हो गया, जिससे उनकी नसें और मांसपेशियां तक कट गईं।
आरोपी ने पुलिस को बरगलाने की कोशिश की
सुबह 7 बजे, पति राजेश कुमार पुरोहित ने नयाशहर थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। इसके कुछ देर बाद सोशल मीडिया से सूचना मिली कि नहर कॉलोनी में एक महिला का शव मिला है, जिसकी पहचान लक्ष्मी पुरोहित के रूप में हुई।
बीछवाल पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए उसी दिन पूर्व ड्राइवर समीर खान को हिरासत में ले लिया। पुलिस को बरगलाने के लिए समीर ने अपने हाथों की नसें काटकर आत्महत्या का प्रयास किया और इसे ट्रेन एक्सीडेंट बताने की कोशिश की, लेकिन वह बच गया। पुलिस की सख्ती के आगे उसने आखिरकार अपना जुर्म कबूल कर लिया, जिसके बाद उसे गिरफ्तार किया गया।
राजनीतिक पृष्ठभूमि और कानूनी प्रक्रिया
मृतका लक्ष्मी पुरोहित मूलतः नागौर की थीं और अपने ससुराल में रहते हुए कांग्रेस के टिकट पर नगर परिषद का चुनाव जीतकर पार्षद बनी थीं। बीकानेर में हर्षों के चौक में उनका पीहर है।
करीब दो साल तक चली सुनवाई के बाद, बीछवाल थानाधिकारी महेंद्र दत्त शर्मा द्वारा पेश की गई केस डायरी और साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने समीर को दोषी करार दिया। पीड़ित पक्ष की ओर से एडवोकेट संजय रामावत, अशोक प्रजापत, योगेश रामावत, वेद प्रकाश और इरशाद अंजुम ने प्रभावी पैरवी की।
कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए आरोपी को आजीवन कारावास की सज़ा दी और यह सुनिश्चित किया कि जुर्माने की राशि मृतका की बेटियों को क्षतिपूर्ति के रूप में दी जाए।
0 Comments