बीकानेर। राजस्थान की सियासत में किसानों की आवाज़ और कांग्रेस के मजबूत स्तंभ रहे रामेश्वर डूडी का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। 62 वर्षीय डूडी पिछले 26 महीनों से कोमा में थे। उनके जाने से बीकानेर ही नहीं, बल्कि पूरे राजस्थान में शोक की लहर दौड़ गई है। अंतिम संस्कार आज 11 बजे जाट बगीची में किया जायेगा।
डूडी ने राजनीति की शुरुआत छात्रसंघ से की थी। 1995 में वे नोखा पंचायत समिति के प्रधान बने। इसके बाद उनका कद बढ़ता गया और वे लोकसभा सांसद तथा बाद में राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बने। सियासी जीवन में डूडी हमेशा किसानों और ग्रामीण विकास के मुद्दों पर मुखर रहे।
बीमारी के दौरान भी उन्हें कांग्रेस ने विशेष महत्व देते हुए कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया था। समर्थकों की वर्षों से यही कामना रही कि डूडी फिर से स्वस्थ होकर लौटें, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
डूडी के निधन की खबर जैसे ही फैली, सोशल मीडिया और कांग्रेस खेमे में गहरा सन्नाटा छा गया। कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने इसे अपूरणीय क्षति बताते हुए कहा कि "किसानों की राजनीति की एक बुलंद आवाज़ अब हमेशा के लिए खामोश हो गई।"
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