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कफ सिरप का कहर: राजस्थान में बच्चों की मौत का आंकड़ा 4 हुआ, सरकारी क्लीनचिट के बावजूद थम नहीं रहा सिलसिला

India-1stNews



जयपुर/जोधपुर:राजस्थान में जानलेवा कफ सिरप पीने से होने वाली मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। शनिवार को चूरू से जयपुर लाए गए 6 साल के एक और मासूम की मौत हो गई, जिसके बाद इस त्रासदी में मरने वाले बच्चों की संख्या अब बढ़कर चार हो गई है। मरने वाले सभी बच्चों के परिवारों ने आरोप लगाया है कि उन्हें यह सिरप सरकारी अस्पतालों से मिली थी।

बढ़ती मौतों के बीच 'क्लीनचिट' का विरोधाभास

​यह पूरा मामला 'डेक्सट्रोमेथोरफान हाइड्रोब्रोमाइड' नामक कफ सिरप से जुड़ा है, जिसके सेवन के बाद अब तक 4 बच्चों (चूरू, 2 भरतपुर, 1 सीकर) की मौत हो चुकी है, जबकि 34 से अधिक बच्चे बीमार बताए जा रहे हैं।

​चौंकाने वाली बात यह है कि एक तरफ मासूमों की मौत हो रही है, तो दूसरी तरफ सरकारी स्तर पर लगातार 'क्लीनचिट' दी जा रही है। पहले डॉक्टरों को क्लीनचिट दी गई, और सरकारी लैब की जाँच के बाद दवा बनाने वाली कंपनी को भी क्लीनचिट मिल गई।

चिकित्सा मंत्री ने मौतों के लिंक को बताया 'बेबुनियाद'

​हालाँकि, शनिवार को जोधपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस में चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने बढ़ते दावों को बेबुनियाद बताया। उन्होंने साफ कहा कि बच्चों की मौतें सिरप पीने से नहीं हुई हैं। उन्होंने बताया कि दवा की दो बार जाँच हो चुकी है और वह सुरक्षित पाई गई है।

​मंत्री के इस बयान से विवाद और गहरा गया है, क्योंकि बच्चे अब भी सरकारी सिरप पीने के बाद बीमार होकर अस्पताल पहुँच रहे हैं। बढ़ते दबाव के बीच, मंत्री ने भरोसा दिलाया कि मामले की सत्यता सुनिश्चित करने के लिए एक और कमेटी बनाकर तीसरी बार जाँच कराई जाएगी।

​फिलहाल, सरकारी जाँच में क्लीनचिट मिलने और मंत्री के इनकार के बावजूद, सिरप के 19 बैचों की बिक्री पर रोक लगा दी गई है। इन विरोधाभासी तथ्यों ने पूरे मामले को उलझा दिया है और राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।


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