– नोखा कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: सजा पाने वालों में 6 सगे भाई शामिल
– 2016 का मामला: गवाह को गवाही देने से रोकने और सबक सिखाने के लिए किया था जानलेवा हमला
नोखा (बीकानेर), 26 नवंबर। मारपीट के एक मामले के गवाह को सरेआम घेरकर पीटने और अधमरा कर देने वाले एक ही परिवार के 11 लोगों को नोखा (बीकानेर) के अपर सेशन न्यायाधीश मुकेश कुमार ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। यह फैसला उन अपराधियों के लिए एक कड़ा सबक है जो गवाहों को डरा-धमकाकर न्याय प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं।
क्या था पूरा मामला?
अपर लोक अभियोजक (APP) राजा राम बिश्नोई ने बताया कि यह घटना 12 फरवरी 2016 की है। पीड़ित जयसुखराम, जो अपने रिश्ते के भाई धूड़ाराम के साथ हुई मारपीट के मामले में मुख्य गवाह था, अपनी तबीयत खराब होने पर बेटे राकेश के साथ हॉस्पिटल जा रहा था।
रात करीब 8 बजे नोखा के चुंगी नाका सुजानगढ़ रोड पर पहले से घात लगाकर बैठे 11 आरोपियों ने उन्हें घेर लिया। आरोपियों के हाथों में कुल्हाड़ी और लाठियां थीं। उन्होंने जयसुखराम पर ताबड़तोड़ हमला कर दिया।
- बर्बरता: हमलावरों ने कुल्हाड़ी और लाठियों से वार कर जयसुखराम के दोनों पैर तोड़ दिए। उनके पैरों में 10 जगह फ्रैक्चर हुआ था। बेटे राकेश को भी चोटें आईं।
एक ही कुनबे के 11 मुजरिम
सजा पाने वाले सभी 11 आरोपी एक ही परिवार के हैं। इनमें शामिल हैं:
- 6 सगे भाई: बृजलाल, शिवलाल, सोहनलाल, गोपीराम, रामकुमार, रामस्वरूप।
- 3 सगे भाई: देवीलाल, सुखदेव उर्फ सुखाराम, प्रदीप।
- 2 सगे भाई: सुन्दरलाल और मांगीलाल।
कोर्ट की सख्त टिप्पणी: "गवाह न्याय की आंख है"
कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए सख्त टिप्पणी की। न्यायाधीश ने कहा कि यह हमला एक गवाह पर किया गया था, जो न्याय व्यवस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। गवाह को डराने या सबक सिखाने के उद्देश्य से की गई हिंसा सीधे तौर पर न्याय प्रशासन पर हमला है।
कोर्ट ने कहा, "संविधान में गवाह की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। कोर्ट तभी न्याय कर सकता है, जब गवाह बिना किसी डर-भय के हकीकत बताए। यदि गवाह को रोका या धमकाया जाता है, तो सच्चाई सामने नहीं आ पाती।"

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