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बीकानेर में मानवता की मिसाल: 8 महीने से कोमा में थे हरिप्रसाद, डॉ. कृष्णवीर ने 'कृष्ण' बनकर बचाई जान, किया पूरा इलाज फ्री

India-1stNews



– जीवन रक्षा अस्पताल से मिली छुट्टी: पैसे नहीं थे तो मां ने लगाई थी गुहार, डॉक्टर ने ICU और वेंटिलेटर का भी नहीं लिया एक रुपया

– पूर्व पार्षद मनोज विश्नोई के आग्रह पर डॉक्टर ने दिखाया बड़ा दिल, मां की आंखों से छलक पड़े खुशी के आंसू

बीकानेर, 5 दिसंबर।बीकानेर में धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टरों ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि मानवता अभी जिंदा है। एक सड़क हादसे के बाद पिछले 8 महीने से कोमा में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हरिप्रसाद मेघवाल को नया जीवन मिला है।

​शुक्रवार को जब हरिप्रसाद स्वस्थ होकर अस्पताल से घर लौटा, तो उसकी मां की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। इस चमत्कार के पीछे जीवन रक्षा अस्पताल के न्यूरो सर्जन डॉ. कृष्णवीर का हाथ है, जिन्होंने हरिप्रसाद के लिए साक्षात 'कृष्ण' बनकर उसका न केवल इलाज किया, बल्कि गरीब परिवार की बेबसी को देखते हुए एक रुपया भी नहीं लिया।

क्या था पूरा मामला?

​सादुलगंज निवासी हरिप्रसाद मेघवाल एक सड़क एक्सीडेंट में गंभीर रूप से घायल होकर कोमा में चले गए थे। पिछले 8 महीने से उनकी हालत नाजुक थी। इलाज का खर्च उठाना गरीब परिवार के बस की बात नहीं थी।

​नवंबर में हरिप्रसाद की मां पूर्व पार्षद मनोज विश्नोई के पास पहुंचीं और रोते हुए बेटे के इलाज के लिए मदद मांगी। उन्होंने बताया कि जीवन रक्षा अस्पताल में दिखाने पर खर्चा बहुत ज्यादा बताया जा रहा है।

डॉक्टर बोले- "पैसे छोड़ो, मरीज को भर्ती करो"

​पूर्व पार्षद मनोज विश्नोई ने न्यूरो सर्जन डॉ. कृष्णवीर से संपर्क किया और गरीब परिवार की स्थिति बताते हुए फीस कम करने का निवेदन किया। लेकिन डॉ. कृष्णवीर ने जो जवाब दिया, उसने सबका दिल जीत लिया। डॉक्टर ने कहा, "मैं पैसे कम नहीं करूंगा, बल्कि पूरा इलाज फ्री में करूंगा। आप तुरंत मरीज को एडमिट कराएं।"

ICU और वेंटिलेटर का भी नहीं लिया चार्ज

​डॉ. कृष्णवीर ने अपना वादा निभाया। करीब 1 महीना और 8 दिन तक हरिप्रसाद का गहन इलाज चला। इस दौरान आईसीयू और वेंटिलेटर का भारी-भरकम खर्च भी डॉक्टर ने माफ कर दिया।

​शुक्रवार को हरिप्रसाद के स्वस्थ होने पर उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी गई। पूर्व पार्षद विश्नोई ने कहा कि डॉ. कृष्णवीर इस परिवार के लिए वास्तव में देवता बनकर आए। वहीं, हरिप्रसाद की मां ने डॉक्टर और पार्षद का हाथ जोड़कर आभार जताया।


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