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"आने वाला समय होगा 'नवल युग'": बीकानेर में बोले राजकुमार सरसिया- महर्षि नवल के नाम पर बनेंगे स्कूल और अस्पताल

India-1stNews



– प्रकाश पुंज फाउंडेशन की संगोष्ठी: नवलरत्न राजकुमार सरसिया बोले- 247 वर्ष पूर्व ही महर्षि नवल ने जगाई थी चेतना, आज भी प्रासंगिक हैं उनकी वाणियां

– शिक्षाविद् अनिल घारू और संत रमेश चौहान ने भी रखे विचार

बीकानेर, 1 दिसंबर। प्रकाश पुंज फाउंडेशन बीकानेर की ओर से रविवार (30 नवंबर) को 'महर्षि नवल साहेब के आध्यात्मिक व सामाजिक योगदान की वर्तमान में प्रासंगिकता' विषय पर एक महत्वपूर्ण संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

​कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में अखिल भारतीय सत्गुरु महर्षि नवल धर्म सभा के राष्ट्रीय महासचिव व नवलरत्न श्री राजकुमार सरसिया उपस्थित रहे। उनका स्वागत फाउंडेशन के संरक्षक आचार्य ओमप्रकाश घारू, महासचिव श्याम निर्मोही, डॉ. सुभाष प्रज्ञ और श्रवण घारू ने शॉल, माल्यार्पण व पुष्पगुच्छ भेंट कर किया।

"247 साल पहले कठिन समय में जगाई थी अलख"

​अपने संबोधन में मुख्य वक्ता राजकुमार सरसिया ने कहा कि महर्षि नवल साहेब का जन्म 247 वर्ष पूर्व हुआ था। आज मानवीय हितों की रक्षा के लिए कानून और संविधान हैं, लेकिन उस समय यह कितना मुश्किल रहा होगा, इसकी कल्पना की जा सकती है।

​उन्होंने कहा, "वाल्मीकि जाति में जन्मे महर्षि नवल साहेब की आध्यात्मिक चेतना का लाभ तत्कालीन जोधपुर नरेश के साथ अनेक जाति-सम्प्रदाय के लोगों ने लिया। उनकी वाणियों में आज भी आध्यात्मिक व सामाजिक चेतना की झलक मिलती है, जिससे युवा पीढ़ी प्रेरणा ले सकती है।"

भविष्य की रूपरेखा: नवल युग

​सरसिया ने एक विजन पेश करते हुए कहा कि यदि यह कारवां जुड़ता गया, तो आने वाला समय 'नवल युग' होगा। महर्षि नवल साहेब के नाम पर बड़े शिक्षण संस्थान, छात्रावास, गरीब छात्रों के लिए छात्रवृत्ति, अस्पताल, कॉलोनियां और सर्किल बनेंगे। यह कोरी कल्पना नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय महर्षि नवल धर्मसभा और प्रकाश पुंज फाउंडेशन जैसे संगठन इसके लिए दिन-रात प्रयास कर रहे हैं।

संत और शिक्षाविद् के विचार

  • विशिष्ट अतिथि शिक्षाविद् अनिल घारू ने विद्यार्थियों को शिक्षा के गूढ़ रहस्यों को समझने के लिए सेमिनारों से जुड़ने का आह्वान किया।
  • अध्यक्षता कर रहे संत श्री रमेश जी चौहान ने कहा कि महर्षि नवल किसी एक जाति के नहीं, बल्कि इस युग के संत हैं, जिनकी वाणियों में जीवन का सार छिपा है।

​कार्यक्रम का संचालन श्याम निर्मोही ने किया। इस अवसर पर महंत धनप्रकाश रील, महंत शिवलाल तेजी, गादीपति बाबूलाल जाजोट, डॉ. सुभाष प्रज्ञ, संदीप कुमार घारू, ओम आलोक, अनिकेत चौहान और कार्तिक सरसिया सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।


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