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बीकानेर: पुलिस ने बनाया आरोपी, तो कोर्ट ने किया बरी, जामसर पुलिस की जांच पर आरोपी हुए दोषमुक्त

India-1stNews




बीकानेर@ न्यायालय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश संख्या 5 के पीठासीन अधिकारी अनुभव सिडाना ने हथियारों से लैस होकर मारपीट करने के मामले में परिवादी पक्ष द्वारा अपना मामला संदेह से परे जाकर साबित नहीं करने पर आरोपीगण को दोष मुक्त कर दिया। 

मामले के अनुसार परिवादी मुरलीधर सुथार ने थानाधिकारी पुलिस थाना जामसर बीकानेर के समक्ष लिखित रिपोर्ट इस आशय की पेशकश कि वह गाँव खारा का रहने वाला है, गाँव खारा की पूर्व (अगुणी) रोही में उसका एक खेत खसरा नम्बर-430 है, जहाँ वह परिवार सहित निवास करता है। दिनांक 02.05.2021 को वह व उसकी पत्नी पूजा खेत में बनी ढाणी में बैठे थे, शाम के करीब आठ बजे अचानक एक कार में सवार होकर जयनारायण, धनराज, विद्या देवी, मनीष सिंह एवं दो अन्य व्यक्ति उसकी ढाणी में धारदार हथियार लेकर आए उस पर व उसकी पत्नी पर हमला कर दिया। वह संभल पाता इतने में पीछे से मनीष व धनराज ने उसे पकड़ लिया व जयनारायण ने गंडासे से उसके सिर पर वार कर दिया। उसके सिर में से खून आने लगा, मनीष व धनराज ने उसे नीचे गिरा दिया व सब उसे गंडासों व लाठी, पाईप से मारने लगे। विद्या देवी उसके घर में पड़े बर्तन बाहर फेंकने लगी। विद्या देवी ने उसकी पत्नी के साथ मारपीट करनी शुरू कर दी व विद्या देवी व मनीष ने उसकी पत्नी पूजा के बाल पकड़ व पैर पकड़कर घसीटते हुए आंगन से बाहर ले गए व लात घुसों से मारपीट की। उसका खून ज्यादा बह जाने के कारण उसकी आँखों में धुन्धला पन छाने लगा सभी लोग हमारे साथ बेरहमी से मारपीट की। गाड़ी में बैठकर जाने लगे और कहा अभी कुछ नहीं हुआ ये खेत खाली कर देना नहीं तो तेरी बीबी व बच्चों को उठाकर ले जाएंगे। उक्त रिपोर्ट के आधार पर पुलिस थाना जामसर बीकानेर द्वारा प्रथम सूचना प्रतिवेदन संख्या-58/2021 अन्तर्गत धारा 341, 323, 506, 34 भारतीय दण्ड संहिता में पंजीबद्ध किया जाकर बाद अनुसंधान अभियुक्तगण जयनारायण, धनराज व श्रीमती विद्या देवी के विरूद्ध धारा 341, 323, 308, 506, 34 भारतीय दण्ड संहिता का आरोप प्रमाणित पाते हुए आरोप-पत्र पेश किया जिस पर एडीजे कोर्ट ने निर्णय सुनाते हुए आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।आरोपियों की और से पैरवी करते हुए अधिवक्ता लालचंद सुथार ने तर्क रखा कि प्रकरण में प्रथम सूचना प्रतिवेदन देरी से दर्ज कराई गई है इस देरी का कोई कारण अंकित नहीं किया है।परिवादी / आहत मुरलीधर व पूजा के कथनों का समर्थन चिकित्सा साक्षी की साक्ष्य एवं अन्य साक्षीगण की साक्ष्य से नहीं होता है। वादग्रस्त खेत किसका है इस संबंध में कोई स्पष्ट साक्ष्य नहीं है, परिवादी पक्ष व अभियुक्तगण के मध्य वादग्रस्त खेत की जमीन को लेकर विवाद है। अभियोजन की ओर से परीक्षित सभी साक्षीगण एक ही परिवार के होकर हितबद्ध साक्षी है जिनकी साक्ष्य पर विश्वास नहीं किया जा सकता है।

गवाहों के बयानों में भारी विरोधाभास है जिससे उनकी साक्ष्य पर विश्वास नहीं किया जा सकता है। अनुसंधान अधिकारी द्वारा मारपीट के समय काम में लिए गए पाईप, लाठी को बरामद किया गया है, पाईप जिस मकान से बरामद किया गया है वह मकान किसका था अथवा भौतिक रूप से पूरा कब्जा अभियुक्त का हो ऐसी कोई साक्ष्य पत्रावली पर नहीं है। अभियुक्त धनराज की सूचना के आधार पर लाठी जिस स्थान से बरामद करना बताया गया है, उस स्थान पर कोई भी व्यक्ति आ जा सकता है। परिणामतः बरामदगी को अभियोजन पक्ष युक्तियुक्त संदेह से परे साबित करने में पूर्णतया असफल रहा है। परिवादी मुरलीधर ने अभियुक्त जयनारायण द्वारा गंठासी से मारपीट करना बताया गया है परन्तु अनुसंधान अधिकारी ने गंठासी दौराने अनुसंधान बरामद नहीं की है। पत्रावली पर अभियुक्तगण के विरूद्ध ऐसी साक्ष्य नहीं आई है जिससे कि उन्हें आरोपित आरोप में संलिप्त किया जा सके। अभियोजन की ओर से परीक्षित साक्षीगण की साक्ष्य से अभियुक्तगण के विरूद्ध कोई अपराध बनना नहीं पाया जाता है। वही अपर लोक अभियोजक ने अभियोजन की ओर से 13 गवाहों ओर 22 दस्तावेजों को प्रदर्श कराया जाकर  अभियुक्तगण को दंडित करने का निवेदन किया।

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