बीकानेर@ पॉक्सो कोर्ट के पीठासीन अधिकारी विश्वबन्धु ने शहरी क्षेत्र में 5 साल की बच्ची से दुष्कर्म करने वाले शख्स को दोषी मानकर 20 साल के कठोर कारावास और 1.55 लाख रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई है। अर्थदंड की राशि जमा नहीं कराने पर आरोपी को 6 माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। पुलिस ने इस मामले में गंभीरता बरतते हुए 7 दिन में चालान पेश किया था और कोर्ट ने दो साल में ही सुनवाई पूरी कर फैसला सुना दिया।
22 अगस्त, 23 की शाम को वह 5 साल की बच्ची अपने घर के आगे खेल रही थी। पड़ोस में रहने वाला अब्बास अली उसे सॉफ्टी आईसक्रीम खिलाने के बहाने अपने घर ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया। पीड़िता के पिता ने 23 अगस्त, 23 को शहर के एक पुलिस थाने में रिपोर्ट दी थी कि 22 को वह पत्नी-बच्चों के साथ ससुराल गया था। रात को 9-9.30 बजे वापस लौटा और पत्नी के साथ घर में चला गया। बच्ची बाहर खेलने लगी। कुछ देर बाद वह नजर नहीं आई तो खोजबीन की गई। बच्ची का भाई आरोपी के घर पहुंचा तो उसे दुष्कर्म करते देखा। उसने बताया तो परिजन मौके पर पहुंच गए। पुलिस थाने में मुकदमा दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार किया और सात दिन में जांच पूरी कर कोर्ट में चालान पेश कर दिया।
कोर्ट ने इस मामले में दो साल में ही सुनवाई पूरी की और आरोपी को दोषी मानते हुए 20 साल के कठोर कारावास और 1.55 लाख रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई। यह राशि जमा नहीं कराने पर आरोपी को 6 माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। अर्थदंड की राशि में से 1.50 लाख रुपए पीड़िता को क्षतिपूर्ति के दिए जाएंगे और शेष 5000 रुपए राजकोष में जमा होंगे। इसके अलावा अधिनियम में प्रतिकर स्कीम के अधिकतम 6 लाख रुपए एक माह में पीड़िता को देने के निर्देश जिला विधिक प्राधिकरण को दिए हैं। इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से कोर्ट में 16 गवाहों के बयान हुए। राज्य की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक चतुर्भुज सारस्वत व परिवादी की ओर से पैरवी वसीम मकसूद ने की।
अबोध बालिका को घोर कष्ट पहुंचाया : कोर्ट...
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि वर्तमान समय में समाज में यौन अपराधों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। अभियुक्त के विरूद्ध दोषसिद्ध अपराध नैतिक पतन व समाज विरोधी है। अभियुक्त के गंभीर आपराधिक कृत्य से अबोध बालिका को मानसिक व शारीरिक रूप से घोर कष्ट पहुंचाया है। उसका कृत्य समाज के विरूद्व गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। उसे समुचित सजा का अभाव अन्याय और अपराधियों को प्रोत्साहित करेगा तथा यौन अपराधियों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग करने के समान होगा।
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