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बीकानेर: बच्ची का हाथ थ्रेसर मशीन से कटकर हुआ अलग, आइस बॉक्स में हाथ डालकर पहुंचे, डॉक्टरों ने जोड़ा

India-1stNews




बीकानेर के खाजूवाला में दो दिन पहले तेरह साल की एक बच्ची का हाथ थ्रेसर मशीन (चारा काटने की मशीन) में आ गया। हाथ कटकर शरीर से अलग हो गया। घर वालों ने सूझबूझ दिखाई और तुरंत डॉक्टर के पास पहुंचे। डॉक्टर ने एक मिनट की देरी किए बगैर आइस बॉक्स में हाथ डालकर चारों तरफ बर्फ डाल दी। महज साढ़े चार घंटे में घर वाले बच्ची को लेकर जोधपुर एम्स पहुंच गए, जहां दस घंटे के मेराथन ऑपरेशन के बाद आखिरकार हाथ जोड़ दिया गया। अब उसका हाथ सही है।

बीकानेर के खाजूवाला में गांव माधोडिग्गी के चक 14 डीकेड़ी में चारा काटने वाली मशीन से 13 वर्षीय प्रियांशु मेघवाल के हाथ का पंजा कट कर अलग हो गया। घटना 29 जून की शाम करीब साढ़े पांच बजे की है। पौने छह बजे के आसपास परिजन उसे लेकर स्थानीय डॉक्टर पूनाराम के पास पहुंच गए। एक मिनट भी गंवाए बिना डॉक्टर पूनाराम ने कटे हुए पंजे को एक आइसबॉक्स में डालकर खाजूवाला से सीधे जोधपुर एम्स के लिए रैफर कर दिया।

परिजनों ने हिम्मत दिखाई और बच्ची को लेकर जोधपुर रवाना हो गए। भारत माला रोड से होते हुए महज साढ़े चार घंटे में जोधपुर का सफर तय कर लिया। निजी 108 एंबुलेंस के ड्राईवर ईमाम हुसैन ने तत्परता दिखाते हुए 400 किमी. का सफर सिर्फ साढ़े 4 घंटे में तय किया।

एम्स जोधपुर में दो चिकित्सकों की टीम ने 10 घंटे के सफल ऑपरेशन के बाद प्रियांशु के हाथ को दुबारा जोड़ दिया। ऑपरेशन काफी मुश्किल था क्योंकि कटे हुए हाथ से पंजे को वापस जोड़ने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। इसके बावजूद भी टीम ने करके दिखाया। एक जुलाई यानी मंगलार को हाथ में मूवमेंट देखने को मिला है। एक हफ्ते तक प्रियांशी के हाथ का रिस्पांस देखा जाएगा।

इस बारे में खाजूवाला उप जिला अस्पताल के डॉ. पूनाराम रोझ का कहना है कि रक्त नलिकाएं एवं अन्य नसें काफी सूक्ष्म होती हैं, उनको माइक्रोस्कोप से जोड़ा जाता है। इसमें असफलता का भी खतरा रहता है। कटे अंग का समय पर एवं सही तरीके लाना भी जरूरी है। कटा हुआ अंग 6 घंटे के अंदर अस्पताल आ जाता है तो सफलता की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है।

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